जसवंत सिंह से भाजपा डर रही है

jab-top-mukabil-ho1जसवंत सिंह संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष हैं. पहले वे भारतीय जनता पार्टी में थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को वे पसंद नहीं आए. उन्होंने पार्टी के भीतर कई सवालों पर ऐसी राय रखी, जो न संघ को पसंद आई और न भाजपा को. जब लोकसभा में हार के बाद सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू हुआ तो भाजपा के रणनीति बनाने वालों ने तय किया कि ऐसा शिकार करो कि आवाज़ें दब जाएं. जसवंत सिंह भी सवाल-जवाब करने वालों में एक थे. उसी समय उनकी जिन्ना को आधार बनाकर लिखी किताब सामने आई, जिसमें तथ्य दिए गए थे और फैसला पाठकों पर छोड़ा गया था. जसवंत सिंह को शिकार बनाने का फैसला हो गया. शुरुआत नरेंद्र मोदी ने की और समापन राजनाथ सिंह ने किया.

जसवंत सिंह भाजपा के पहले ऐसे राष्ट्रीय नेता बन गए जिनसे न स़फाई पूछी गई, न बोलने का अवसर दिया गया, बस बाहर का दरवाज़ा दिखा दिया गया. उनका इतना सम्मान भी नहीं रखा, जितना एक सामान्य राजनैतिक सहयात्री का दूसरा राजनैतिक सहयात्री रखता है.

आख़िर कौन से सवाल जसवंत सिंह उठाते रहे, जिसकी वजह से उनका पहला शिकार वे बनें, जो भाजपा को अलोकतांत्रिक ढंग से चलाना चाहते हैं. शायद जसवंत सिंह कभी इस पर बोलें या लोगों को जब लगे, तब वे उनसे सवाल पूछें. लेकिन जसवंत सिंह से भारतीय जनता पार्टी को बड़ा ख़तरा हो सकता है. पहला ख़तरा यह कि जसवंत सिंह बता सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की निर्णय प्रक्रिया में जनता के दु:ख-दर्द कितना महत्व रखते हैं. भारतीय जनता पार्टी की सोच में ग़रीब या किसान कहीं है भी या नहीं. भारतीय जनता पार्टी ने कुछ सहायक संगठन जैसे दलितों, अल्पसंख्यकों के बीच काम करने के लिए बना रखे हैं, उन संगठनों की राय कभी भाजपा नेतृत्व के सामने आती भी है या नहीं. जसवंत सिंह बता सकते हैं कि क्यों भाजपा का पूरा ज़ोर भावनात्मक सवालों पर रहता है. जसवंत सिंह यह भी बता सकते हैं कि अल्पसंख्यकों के ख़िला़फ आक्रामक भाषा बोलने के पीछे भाजपा नेताओं की क्या सोच और क्या समझदारी है.

जसवंत सिंह के पास इस बात की भी जानकारी होगी कि क्यों भाजपा नेतृत्व चुनावों में युवा मोर्चे के पदाधिकारियों तक को टिकट नहीं देता और क्यों सालों साल पार्टी का काम करने वाले लोगों से पूछता है कि वे कितना ख़र्च कर सकते हैं. जसवंत सिंह यह भी बता सकते हैं कि भाजपा में कितनी तानाशाही और फासिज़्म है तथा वह क्यों लोगों से दूर जा रही है. शायद जसवंत सिंह इनमें से किसी का जवाब न दें या फिर केवल कुछ का जवाब दें, लेकिन भाजपा का डर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. अभी पटना में पिछले महीने उनकी किताब को लेकर एक कार्यक्रम हुआ, जिसका आयोजन ग़रीब मुस्लिम संगठन ने किया था, जिसमें एक सांसद एजाज़ हसन भी शामिल थे. भाजपा के बीच यह नया डर पैदा हो गया है कि कहीं मुसलमानों का एक तबका जसवंत सिंह के साथ न जुड़ जाए. क्या जसवंत सिंह भाजपा के लिए सचमुच एक वास्तविक डर बन गए हैं या बन सकते हैं.

भाजपा के पास इस बात की जानकारी है कि जसवंत सिंह के पास देश भर से ऐसे संगठन संपर्क कर रहे हैं, जिनका रिश्ता राजनैतिक दलों से नहीं है, लेकिन उनकी चिंता राजनैतिक है. ये संगठन जसवंत सिंह को अपने यहां भाषण देने के लिए बुलाना चाहते हैं. भाजपा को डर है कि कहीं मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग जसवंत सिंह से न जुड़ने लगे. भाजपा को डर है कि अगर यह सिलसिला शुरू होता है तो फिर बार काउंसिल और प्रेस क्लब भी जसवंत सिंह को बुलाने लगेंगे और वे एक नए धु्रवीकरण का केंद्र बनने की ओर बढ़ने लगेंगे.

भाजपा इस सिलसिले को तत्काल रोकना चाहती है. उसने एक रणनीति भी बनाई है. लोकसभा के मौजूदा सत्र में वह जसवंत सिंह पर पलटवार करेगी. जसवंत सिंह ने भाजपा की सांसद सुषमा स्वराज का यह अनुरोध नहीं माना कि वे लोक लेखा समिति की अध्यक्षता से इस्ती़फा दे दें. जसवंत सिंह का मानना है कि उन्हें लोकसभा अध्यक्ष ने नामित किया है, वे कहेंगी तो वे हट जाएंगे.

अब भाजपा चल रहे सत्र में जसवंत सिंह पर हमला करने जा रही है. वह किसी विषय पर व्हिप जारी करेगी. जसवंत सिंह भाजपा के टिकट पर चुने गए हैं, वे अभी निष्कासन में हैं, क़ानूनी तौर पर उन्हें पार्टी का व्हिप मानना होगा. भाजपा का मानना है कि वे लोकसभा सीट बचाने के लिए व्हिप मानेंगे और पार्टी लाइन पर सदन में वोट देंगे. इसके बाद पार्टी उनके ख़िला़फ निंदा अभियान चला देगी.

लेकिन हमें लगता है कि जसवंत सिंह भाजपा को ख़ुश होने का अवसर नहीं देंगे. यदि भाजपा व्हिप जारी करती है तो जसवंत सिंह उसके ख़िला़फ जाकर वोट करेंगे और अपनी सीट से त्यागपत्र दे देंगे. इसके बाद वे फिर उसी सीट से चुनाव लड़ेंगे. और तब जो चुनाव होगा, वह सालों पहले इलाहाबाद में हुए उपचुनाव जैसा होगा, जिसमें वी पी सिंह ने कांग्रेस को हराया था और देश में एक नया ध्रुवीकरण प्रारंभ हुआ था. हमें यह देखने का मौक़ा मिलेगा कि भाजपा क्या हमला एक अकेले आदमी पर करती है और वह अकेला आदमी लोगों के सहारे उस हमले का कैसा मुंहतोड़ जवाब देता है.

 


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